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  • दशहरा कब है ? जानें डेट, रावण दहन का मुहूर्त और महत्व।

      16 October 2023 •  By : Dhwani Astro  Comments
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    इस साल दशहरा 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस बार दशहरा वृद्धि योग एवं रवि योग में मनाया जायेगा. इस साल दशहरा पर्व पर दो शुभ योग भी बन रहे हैं.

    दशहरा तिथि:

    हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 23 अक्टूबर के दिन शाम को 5:44 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 24 अक्टूबर को दोपहर 3:14 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार दशहरा का त्योहार इस साल 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा.

    दो शुभ योग:

    इस साल दशहरा पर्व पर दो शुभ योग भी बन रहे हैं. इस दिन रवि योग सुबह 06:27 मिनट से दोपहर 03:38 मिनट तक रहेगा. इसके बाद शाम 6:38 मिनट से 25 अक्टूबर को सुबह 06:28 मिनट तक यह योग रहेगा. वहीं, दशहरा पर वृद्धि योग दोपहर 03:40 मिनट से शुरू होकर पूरी रात रहेगा.

    शस्त्र पूजन मुहूर्त:

    दशहरा के दिन कई जगहों पर शस्त्र पूजा करने का भी विधान है. दशहरा के दिन शस्त्र पूजा विजय मुहूर्त में की जाती है. ऐसे में दशहरे के दिन यानी 24 अक्टूबर को शस्त्र पूजा का शुभ समय दोपहर 01:58 मिनट से दोपहर 02:43 मिनट तक रहेगा.

    रावण दहन मुहूर्त:

    दशहरा के दिन लंकापति रावण और उसके भाई कुंभकर्ण और पुत्र मेघनाथ के पुतलों का दहन किया जाता है. पुतलों का दहन सही समय में किया जाए, तो ही शुभ माना जाता है. विजयदशमी के दिन यानी 24 अक्टूबर को पुतलों के दहन का शुभ मुहूर्त सूर्यास्त के समय शाम 05:43 मिनट से लेकर ढाई घंटे तक होगा.

    दशहरा पूजन विधि:

    दशहरे के दिन सुबह जल्दी उठकर, नहा-धोकर साफ कपड़े पहने और प्रभु श्री राम, माता सीता और हनुमान जी कि पूजा करें। गाय के गोबर से 9 गोले और 2 कटोरियां बनाकर, एक कटोरी में सिक्के और दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ, केले, गुड़ और मूली अर्पित करें. यदि बहीखातों या शस्त्रों की पूजा कर रहे हैं तो उन पर भी ये सामग्री जरूर अर्पित करें. इसके बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा करें और गरीबों को भोजन कराएं. रावण दहन के बाद शमी वृक्ष की पत्ती अपने परिजनों को दें. अंत में अपने बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें.

    मांगलिक कार्यों के लिए यह दिन माना जाता है शुभ:

    दशहरा या विजयादशमी शुभ तिथि मानी जाती है, इसलिए इस दिन सभी शुभ कार्य फलकारी माने जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दशहरा के दिन घर या दुकान का निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन और भूमि पूजन आदि कार्य शुभ माने गए हैं. विजयादशमी के दिन विवाह संस्कार को निषेध माना गया है.

    विजयादशमी से है मां दुर्गा का संबंध:

    दशहरा के दिन भगवान राम ने रावण का वध कर युद्ध में जीत हासिल की थी. इस पर्व को असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में भी मनाया जाता है. दशहरा पर्व हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इस त्योहार को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था, इसलिए भी शारदीय नवरात्र की दशमी तिथि को ये उत्सव मनाया जाता है. कई जगह पर इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन भी किया जाता है.

    दशहरे पर खरीदारी का महत्व:

    इस दिन शमी के पेड़ की पूजा भी की जाती है. इस दिन वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम, सोना, आभूषण नए वस्त्र इत्यादि खरीदना शुभ होता है.

    दशहरे पर इस पक्षी का दिखना होता है अति शुभ:

    दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन करना अति शुभ माना जाता है. इस दिन माना जाता है कि अगर आपको नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाए तो आपके सारे बिगड़े काम बन जाते हैं. नीलकंठ पक्षी को भगवान का प्रतिनिधि माना गया है. दशहरे पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन होने से पैसों और संपत्ति में बढ़ोतरी होती है. मान्यता है कि यदि दशहरे के दिन किसी भी समय नीलकंठ दिख जाए तो इससे घर में खुशहाली आती है और वहीं, जो काम करने जा रहे हैं, उसमें सफलता मिलती है.

    दशहरे के दौरान पालन करने योग्य महत्वपूर्ण अनुष्ठान:

    1.रामलीला प्रदर्शन:

    रामलीला मंच के बिना दशहरे का त्यौहार कैसे पूरा हो सकता है? रामायण की पूरी कहानी को संवादों, गीतों और कविताओं में दर्शाया जाता है। भगवान राम के जन्म से लेकर भगवान राम और राक्षस रावण के बीच पौराणिक युद्ध तक, इन नाट्य प्रदर्शनों के दौरान रामायण के हर पहलू को दर्शाया जाता है।

    2. दुर्गा पूजा:

    आइए अब हम अपना ध्यान देश के पूर्वी हिस्सों: ओडिशा, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में अपनाए जाने वाले अनुष्ठानों की ओर केंद्रित करें। यहां, लोग अपने दिलों में शुद्ध भक्ति के साथ मां दुर्गा की पूजा करते हैं और महिषासुर, राक्षस पर उनकी जीत का सम्मान करते हैं। दस दिनों तक लोग मां दुर्गा की मूर्तियों की पूजा करते हैं, उन्हें पंडालों में रखते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं और दशहरे के दिन माँ दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन करते है.

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