दशा
अक्सर देखा जाता है कि किसी की कुंडली में बहुत सारे योग होते हैं, लेकिन उसका फल क्यों नहीं मिलता? व्यक्ति जीवन भर संघर्ष क्यों करता है? यहाँ नाटक में दास आते हैं। दशा कुंडली में सबसे महत्वपूर्ण चीज है जो व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह से बदल देती है। ज्योतिष में चार दशा, योगिनी दशा आदि जैसी बहुत सारी दास प्रणालियाँ हैं, लेकिन ज्यादातर विम्सोत्तरी दशा को ही ध्यान में रखा जाता है। अब स्पष्ट समझ के लिए एक उदाहरण लेते हैं, मान लीजिए कि किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र मजबूत है और "माल्या योग" नामक पंचमहापुरुष योग बना रहा है, इसका अर्थ है कि व्यक्ति को अपने जीवन में सभी विलासिता और सुख प्राप्त करने चाहिए, लेकिन तथ्य यह है कि यदि शुक्र की दशा उसके जीवन में नहीं आती है तो यह फलदायी नहीं होगा और मान लीजिए कि इसके बजाय व्यक्ति राहु की दशा के तहत चल रहा है जो उसके घर में बुरी तरह से स्थित है तो इसके बजाय राजा जैसी जीवन शैली होने के कारण उनके जीवन में हमेशा बाधा, विघ्न, विश्वासघात और सुख का अभाव होता था। इसलिए कुंडली को देखते हुए दशा को सबसे महत्वपूर्ण में से एक माना जाता है।