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  • साल का दूसरा सूर्य ग्रहण कब लगेगा ? जानें भारत में दिखेगा या नहीं ?

      13 October 2023 •  By : Dhwani Astro  Comments
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    ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण का विशेष महत्व होता है. पंचांग के अनुसार हर एक साल में सूर्य और चंद्र ग्रहण जरूर पड़ते हैं.


    जब-जब सूर्य या चंद्र ग्रहण पड़ता है तब-तब इसका प्रभाव सभी लोगों के जीवन पर जरूर पड़ता है. धार्मिक नजरिए से ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है. सूर्य ग्रहण धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से सभी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है.

     

    इस राशि में लगेगा साल का दूसरा सूर्य ग्रहण:

     

    शनिवार 14 अक्टूबर को रात में 8:34 से यह ग्रहण शुरू होगा, जो मध्य रात्रि 2:25 पर समाप्त होगा. यह ग्रहण कंकणाकृती सूर्य ग्रहण होगा, जो अश्विन माह की अमावस्या तिथि पर लगेगा. खास बात ये है कि अश्विन मास की अमावस्या तिथि को लगने वाला सूर्य ग्रहण कन्या राशि और चित्रा नक्षत्र में लगेगा. इस साल 2 सूर्य ग्रहण लगने जा रहे हैं. एक अप्रैल के महीने में लगा था जबकि दूसरा सूर्य ग्रहण अक्टूबर में लगने जा रहा है.

     

    क्या होता है सूर्य ग्रहण ?

     

    हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार ग्रहण के सूतक काल का बड़ा महत्व होता है, इसलिए इस दौरान कुछ भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है . हिंदू धर्म में ग्रहण का बड़ा महत्व है. खगोलीय और धार्मिक दोनों दृष्टियों से सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है. जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है तो सूरज की रोशनी धरती तक पहुंच नहीं पाती है. इसे ही सूर्य ग्रहण का नाम दिया गया है. कंकणाकृती सूर्यग्रहण वह कहलाता है, जब चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी इतनी होती है कि चंद्रमा सूर्य के एक दम बीचो-बीच आ जाता है, ऐसी स्थिति में सूर्य के चारों तरफ एक रिंग नुमा आकृति बन जाती है, इस ग्रहण को वलयाकार सूर्यग्रहण भी कहा जाता है.

     

    क्या सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा ?

     

    इसे कंकण सूर्य ग्रहण कहा जाएगा. यह वलयाकार सूर्य ग्रहण रहेगा जो भारत में नहीं लगेगा. हालांकि साल का दूसरा सूर्य ग्रहण उपच्छाया ग्रहण होगा जिस वजह से इसका प्रभाव भारत में नहीं रहेगा. भारतीय समयानुसार ग्रहण रात 8:34 से मध्य रात्रि 2:25 तक रहेगा. हालांकि इसका असर किसी भी राशि पर ज्यादा देखने को नहीं मिलेगा. यह सूर्य ग्रहण उत्तर अमेरिका, एंटीगुआ, कोलंबिया, बहामास, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, वेनेजुएला, ब्राजील, कनाडा, डोमिनिकन, जमैका, पराग्वे, मेक्सिको, ग्वाटेमाला, जमैका, अर्जेंटीना, क्यूबा, पेरू, बारबाडोस, उरुग्वे इन सभी देशों में दिखेगा।

     

    कहां कहां दिखाई देगा सूर्यग्रहण ?

     

    यह सूर्य ग्रहण उत्तर अमेरिका, एंटीगुआ, कोलंबिया, बहामास, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, वेनेजुएला, ब्राजील, कनाडा, डोमिनिकन, जमैका, पराग्वे, मेक्सिको, ग्वाटेमाला, जमैका, अर्जेंटीना, क्यूबा, पेरू, बारबाडोस, उरुग्वे इन सभी देशों में दिखेगा।

     

    सूर्य ग्रहण के समय क्या-क्या करे?

     

    1. मन्त्र जप: सूर्य ग्रहण के समय, गायत्री मंत्र या अन्य सूर्य के मंत्रों का जाप करें। यह आपके आध्यात्मिक अनुभव को मजबूती देगा.

     

    2. दान: सूर्य ग्रहण के बाद, गरीबों को कपड़ा, तेल, भोजन आदि दान करें. दान करने से आपका पुण्य बढ़ जायेगा.

     

    3. सूर्य अष्टकम स्तोत्र: अपनी कुण्डली में सूर्य ग्रह को मजबूत करने के लिए, सूर्य अष्टकम स्तोत्र का पाठ करें.

     

    4. परिवार की सेवा: सूर्य ग्रहण के दौरान, अपने माता-पिता की सेवा करें और उनकी सारी बातों का सम्मान करें.

     

    5. ध्यान और मन्त्र जाप: ग्रहण के समय एक शांत स्थान पर बैठकर ध्यान करें और 'ॐ' या अन्य मान्यता अनुसार मंत्र का जाप करें.

     

    6. शुद्धि: सूर्य ग्रहण के बाद स्नान करें और अपने पूजा घर को भी साफ करें.

     

    सूर्य ग्रहण में क्या न करें?

     

    1. सूर्य ग्रहण के समय कुछ भी खाना नहीं चाहिए। यह हानिकारक होता है.

    2. सूर्य ग्रहण के समय सोने से बचें, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है और यह आपकी आंखों को हानि पहुंचा सकता है.

    3. इस सूर्य ग्रहण के दौरान कोई भी मंगल या शुभ कार्य करने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए। आपके काम बिगड़ सकते हैं.

    4. इस दौरान बाहर न निकलें। कहा जाता है कि, सूर्य ग्रहण को देखना अशुभ होता है.

     

    कितने प्रकार के होते हैं सूर्य ग्रहण ?

    दरअसल, सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं. पहला होता है पूर्ण सूर्य ग्रहण, दूसरा आंशिक सूर्य ग्रहण और तीसरा होता है वलयाकार सूर्य ग्रहण. आइए समझते हैं इन तीनों में क्या होता है.

     

    1. आंशिक सूर्य ग्रहण में चंद्रमा, पृथ्वी के एक हिस्से को पूरी तरह से ढक देता है इसमें चंद्रमा की परछाई पूरे हिस्से को न ढकते हुए पृथ्वी के केवल एक ही हिस्से को ढकती है.

     

    2. पूर्ण सूर्यग्रहण की स्थिति में पृथ्वी का एक भाग पूरी तरह से अंधेरे में डूब जाता है. ऐसा तब होता है, जब चंद्रमा, पृथ्वी के सबसे निकट होता है. पूर्ण सूर्यग्रहण हर 100 साल में केवल एक बार ही होता है.

     

    3. वलयाकार सूर्य ग्रहण की स्थिति तब बनती है, जब चंद्रमा, पृथ्वी से दूर होता है. इस स्थिति में चंद्रमा, सूर्य को पूरी तरह ढक नहीं पाता है, इसलिए सूर्य रिंग आफ फायर जैसा प्रतीत होता है और आकार में भी छोटा दिखाई देने लगता है.

     

    सूर्यग्रहण का वैज्ञानिक पहलू:

     

    विज्ञान के अनुसार, सूर्यग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा घूमते-घूमते सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है तो सूर्य की चमकती रोशनी चंद्रमा के कारण दिखाई नहीं पड़ती। चंद्रमा के कारण सूर्य पूर्ण या आंशिक रूप से ढकने लगता है और इसी को सूर्यग्रहण कहा जाता है।

     

    सूर्यग्रहण का ज्योतिषीय महत्व:

     

    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, एक साल में तीन बार से ज्यादा ग्रहण लगे तो इसे अशुभ माना जाता है. बताया जाता है, कि अगर ऐसा होता है तो प्राकृतिक आपदाएं और सत्ता परिवर्तन देखने को मिलता है। ग्रहण से देश में रहने वाले लोगों को नुकसान होता है। बीमारियां बढ़ती हैं। देश की आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव आते हैं.

     

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