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  • Navratri Kanya Pujan 2023: शारदीय नवरात्रि में कब होगा कन्या पूजन, जानें अष्टमी और नवमी की सही तारीख और मुहूर्त।

      20 October 2023 •  By : Dhwani Astro  Comments
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    हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दौरान मां दुर्गा धरती पर आती हैं। ऐसे में नवरात्रि के दिनों माता रानी को प्रसन्न करना और भी ज्यादा आसान हो जाता है।


    नवरात्रि के नौ दिनों तक भक्त व्रत रखते हैं और विधि-विधान से पूजा करते हैं। नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना का विधान है। वैसे तो नवरात्रि के हर दिन का खास महत्व होता है, लेकिन अष्टमी और नवमी तिथि ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि नवरात्रि में कन्या पूजन करने की परंपरा है। कन्याओं को साक्षात मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि में कन्या पूजन से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस साल शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन किस दिन किया जाएगा और शुभ मुहूर्त क्या है?

    1. कब है कन्या पूजन?

    2. अष्टमी पर कन्या पूजन का मुहूर्त

    3. महानवमी पर कन्या पूजन का मुहूर्त

    4. पूजा में कितनी होनी चाहिए कन्या की संख्या?

    5. कन्या पूजा में एक बालक क्यों है जरूरी?

    6. कन्या पूजन विधि

    7. आयु के अनुसार कन्या का स्वरूप और फल

     

    कब है कन्या पूजन?

    नवरात्रि में कन्या पूजन कुछ लोग दुर्गा अष्टमी के दिन तो वहीं कुछ लोग महानवमी के दिन करते हैं। आप अपनी सुविधा और मान्यता के अनुसार इस शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन 22 अक्तूबर को दुर्गा अष्टमी या 23 अक्तूबर को महानवमी के दिन कर सकते हैं।

    अष्टमी पर कन्या पूजन का मुहूर्त:

    22 अक्तूबर को दुर्गा अष्टमी है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 26 मिनट से शाम 06 बजकर 44 मिनट तक है। ऐसे में आप 22 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 26 मिनट से कन्या पूजन कर सकते हैं।

    महानवमी पर कन्या पूजन का मुहूर्त:

    इस साल महानवमी 23 अक्तूबर को है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 27 मिनट से शाम 05 बजकर 14 मिनट तक है। वहीं रवि योग पूरे दिन है। ऐसे में आप 23 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 27 मिनट के बाद से कन्या पूजन कभी भी कर सकते हैं।

    पूजा में कितनी होनी चाहिए कन्या की संख्या?

    कन्या पूजन में 9 कन्याओं की पूजा करनी चाहिये और 1 भैरव बाबा की, कहा जाता है कि आप जितनी कन्या की पूजा करेंगे, उतना ही शुभ होगा।

    कन्या पूजा में एक बालक क्यों है जरूरी?

    कन्या पूजा में कन्याओं के साथ एक बालक को बैठना जरूरी होता है। उस बालक को भैरव का प्रतीक माना जाता है। हर शक्ति पीठ के पास भैरव नाथ का मंदिर होता है। मान्यता है कि उनको शक्ति पीठ की रक्षा का दायित्व मिला हुआ है।

    कन्या पूजन विधि:

    1. दुर्गाष्टमी या महानवमी, जिस दिन भी आप कन्या पूजन करना चाहते हैं उस दिन सबसे पहले मां दुर्गा की पूजा करें।

    2. फिर कन्याओं को भोजन पर आमंत्रित करें।

    3. कन्या को घर में पधारने पर आदरपूर्वक उनको आसन पर बैठाएं।

    4. इसके बाद साफ जल से उनके पांव धोये और फूल, अक्षत आदि से पूजा करें।

    5. इसके बाद घर पर बने पकवान भोजन के लिए दें।

    6. इस दिन हलवा, चना और पूड़ी बनाते हैं।

    7. मां दुर्गा स्वरूप कन्याओं को भोजन कराने के बाद दक्षिणा दें और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें।

    8. इसके बाद खुशी खुशी उनको विदा करें, ताकि अगले साल फिर आपके घर माता रानी का आगमन हो।

    आयु के अनुसार कन्या का स्वरूप और फल:

    नवरात्रि के नौ दिनों में कन्या पूजन में इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि कन्याओं की उम्र दो वर्ष से कम और दस वर्ष से अधिक न हो।

    दो वर्ष की कन्या:

    दो साल की कन्या को कुमारी कहा गया है। इस स्वरूप के पूजन से सभी तरह के दुखों से छुटकारा मिलता है।

    तीन वर्ष की कन्या:

    तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति कहा गया है। भगवती त्रिमूर्ति के पूजन से धन लाभ होता है।

    चार वर्ष की कन्या:

    चार वर्ष की कन्या को कल्याणी कहा गया है। देवी कल्याणी के पूजन से जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।

    पांच वर्ष की कन्या:

    पांच वर्ष की कन्या को रोहिणी माना गया है। माँ के रोहणी स्वरूप की पूजा करने से जातक के घर परिवार से सभी रोग दूर होते हैं।

    छह साल की कन्या:

    इस उम्र की कन्या को कालिका देवी का रूप माना जाता है। मां के कालिका स्वरूप की पूजा करने से ज्ञान,बुद्धि,यश और सभी क्षेत्रों में विजय की प्राप्ति होती है।

    सात वर्ष की कन्या:

    सात वर्ष की कन्या माँ चण्डिका का रूप है। इस स्वरूप की पूजा करने से धन,सुख और सभी तरह के ऐश्वर्यों की प्राप्ति होती है।

    आठ वर्ष की कन्या:

    आठ साल की कन्या माँ शाम्भवी का स्वरूप हैं। इनकी पूजा करने से युद्ध, में विजय और यश की प्राप्ति होती है।

    नौ वर्ष की कन्या:

    इस उम्र की कन्या को साक्षात दुर्गा का स्वरूप मानते है। मां के इस स्वरूप की अर्चना करने से समस्त बाधाएं दूर होती हैं, शत्रुओं का नाश होता है और कठिन से कठिन कार्यों में भी सफलता प्राप्त होती है।

    दस वर्ष की कन्या:

    दस वर्ष की कन्या सुभद्रा के सामान मानी जाती हैं। देवी सुभद्रा स्वरूप की आराधना करने से सभी मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं ।

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